चांदनी रात थी हल्की बरसात थी वह धीरे धीरे मेरे करीब होती जा रही थी दिल की बात कह देने मे सिर्फ चंद लम्हों की दूरी थी मगर इजहार कर नहीं पाया ना जाने कैसी मजबूरी थी
वादे से मुकरना उसकी आदत है मेरा दिल उसके प्यार में पागल है ऐसा लगता है बिना ठोकर खाए सुधरेगा नहीं क्या बताएं कैसी मेरी हालत है